Friday, April 15, 2011

साभार

" दहेज़
निश्चय ही "देह व्यापार " है और दहेज़ ले
कर शादी करनेवाले दूल्हे / पति
"पुरुष वैश्या". लेकिन ताली दोनों हाथ
से बज रही है. जब तक सपनो के
राजकुमार कार पर आएंगे पैदल या
साइकिल पर नहीं तब तक दहेज़
विनिमय होगा ही
. जबतक लड़कीवाले लड़के के बाप के
बंगले कार पर नज़र रखेंगे तब तक
लड़केवाले
भी लड़कीवालों के धन पर नज़र डालेगे ही.
लडकीयाँ दहेज़ से लड़ना ही नहीं चाह
रहीं. सुविधा की चाह उन्हें संघर्ष की
राह से बहुत दूर ले आई है."-- राजीव चतुर्वेदी

साभार

" एक सूरज जो कल ही डूबा था तुम्हारे सामने
आज फिर से रोशनी के साथ आया है
अदालत वख्त की हो या विधानों की बताओ तुम कहोगे क्या ?
फलक पर दर्ज होते इस उजाले पर फेंक लो जितनी भी स्याही
तुहारे दिल की तारीकी की दहशत देख कर
तुम ही डूब जाना अपने चुल्लू भर गुनाहों में

एक सूरज जो कल ही डूबा था तुम्हारे सामने

आज फिर से रोशनी के साथ आया है.
" ---- राजीव चतुर्वेदी

साभार

Arvind Yogi posted in luckhnawi.
दो घूँट आंसू का  तन्हाई के साये में  ख़ामोशी कि नदी बहती है  दिल उसकी यादों में सूखे पत्तो पर  जो विरह व्यथा लिखती है खामोश चांदनी  रात में उसकी यादें  शबनम  बन आँखों कि मुडेरो से टपकती है  और एक नदी बह पड़ती है  उसकी यादों कि कोख से  जब हवाएं नदी में  नहाने के लिए आती है  शशि को अर्घ देती स्पर्श करती  तो एक घडी नदी के किनारे  वो पत्थर पर बैठ जाती हैं  उस समय नदी कि छाती से  चाँद कि किरणे कुछ कहती है  तब उसकी यादों में  यह खामोश नदी बहती है  आसमान में चमकते  प्यारे तारे   इस  नदी में खेलते है  बादल भी तैरते है सितारे भी उतरते है   पंक्षी भी पानी पीते है  और शशि का योगी अरविन्द  अपना कमंडल भरने को जब  नदी के किनारे आता है  दो घूँट आंसू का  आँखों में रमाता है  और उसकी यादो में  ख़ामोशी कि नदी में  कुछ पल को डूब जाता है  जब बाहर निकल कर आता है तो आँखों के सामने  वही ख़ामोशी की नदी बहती है उसकी यादों में जब पर्वत और घाटियाँ  गुजरे प्यार की गाथा गुनगुनाते है  तो खामोश यादो का दिल  इश्क बन धड़क जाता है  और योगी के  होंठो पर सिसकती    गुजरे लम्हों की गाथा  खामोश नदी में  प्रेम का तूफ़ान लता है उफान लाता है  योगी कह उठता है !  तुने ही हंसकर ज़िन्दगी की नदी पर  ख्वाबों का पुल बनाया था  और मुझे लाकर मझधार पर  दूसरा किनारा दिखाया था  और खुद को नदी की आगोश में समाया था  तब से उसकी याद में  यह ख़ामोशी  की नदी बहती है और योगी की छाती में  गुजरा इश्क धडकता है  विरह रगों में बसता है  तब नदी की ख़ामोशी में डूबी  उसकी शाशि का भी दिल धडकता है  फिर फिर उसकी यादो में ख़ामोशी की नदी बहती है  जो यादो के शाए में  कभी बहती कभी सूखती है  पर वो इतना जानती है  वह भी योगी के इश्क में  खामोश नदी सी बहती है  खामोश होकर भी  गुजरे वक़्त की गाथा कहती है  योगी शशि  की आगोश में  हर रोज नहाता  है  और दो घूट आंशू का  आँखों में रमाता है  और उसकी यादो में  ख़ामोशी की नदी में  हमेशा को डूब जाता है !  यह कविता क्यों ? दो घूट लेकर आंशू का जीवन के दो पहलू है ख़ुशी से मुस्कराओ या गम से मुस्कराओ मुस्कराना तो ज़िन्दगी है जो मुस्कान को नहीं जानता वो अपनी  या ज़िन्दगी की पहचान को नहीं जानता   अरविन्द योगी * यह कविता सभी प्रेमियों को सहृदय समर्पित   १४/०४/२०११
Arvind Yogi14 अप्रैल 23:54
दो घूँट आंसू का

तन्हाई के साये में
ख़ामोशी कि नदी बहती है
दिल उसकी यादों में सूखे पत्तो पर
जो विरह व्यथा लिखती है
खामोश चांदनी रात में
उसकी यादें शबनम बन
आँखों कि मुडेरो से टपकती है
और एक नदी बह पड़ती है
उसकी यादों कि कोख से
जब हवाएं नदी में नहाने के लिए आती है
शशि को अर्घ देती स्पर्श करती
तो एक घडी नदी के किनारे
वो पत्थर पर बैठ जाती हैं
उस समय नदी कि छाती से
चाँद कि किरणे कुछ कहती है
तब उसकी यादों में
यह खामोश नदी बहती है
आसमान में चमकते प्यारे तारे
इस नदी में खेलते है
बादल भी तैरते है
सितारे भी उतरते है
पंक्षी भी पानी पीते है
और शशि का योगी अरविन्द
अपना कमंडल भरने को जब
नदी के किनारे आता है
दो घूँट आंसू का
आँखों में रमाता है
और उसकी यादो में
ख़ामोशी कि नदी में
कुछ पल को डूब जाता है
जब बाहर निकल कर आता है
तो आँखों के सामने
वही ख़ामोशी की नदी बहती है
उसकी यादों में जब पर्वत और घाटियाँ
गुजरे प्यार की गाथा गुनगुनाते है
तो खामोश यादो का दिल
इश्क बन धड़क जाता है
और योगी के होंठो पर सिसकती
गुजरे लम्हों की गाथा
खामोश नदी में
प्रेम का तूफ़ान लता है उफान लाता है
योगी कह उठता है !
तुने ही हंसकर ज़िन्दगी की नदी पर
ख्वाबों का पुल बनाया था
और मुझे लाकर मझधार पर
दूसरा किनारा दिखाया था
और खुद को नदी की आगोश में समाया था
तब से उसकी याद में
यह ख़ामोशी की नदी बहती है
और योगी की छाती में
गुजरा इश्क धडकता है
विरह रगों में बसता है
तब नदी की ख़ामोशी में डूबी
उसकी शाशि का भी दिल धडकता है
फिर फिर उसकी यादो में ख़ामोशी की नदी बहती है
जो यादो के शाए में
कभी बहती कभी सूखती है
पर वो इतना जानती है
वह भी योगी के इश्क में
खामोश नदी सी बहती है
खामोश होकर भी
गुजरे वक़्त की गाथा कहती है
योगी शशि की आगोश में
हर रोज नहाता है
और दो घूट आंशू का
आँखों में रमाता है
और उसकी यादो में
ख़ामोशी की नदी में
हमेशा को डूब जाता है !

यह कविता क्यों ? दो घूट लेकर आंशू का जीवन के दो पहलू है ख़ुशी से मुस्कराओ या गम से मुस्कराओ मुस्कराना तो ज़िन्दगी है जो मुस्कान को नहीं जानता वो अपनी या ज़िन्दगी की पहचान को नहीं जानता अरविन्द योगी * यह कविता सभी प्रेमियों को सहृदय समर्पित १४/०४/२०११

साभार

रामदेव को ग़लतफ़हमी, समिति नहीं बदलेगी:
हज़ारे

लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर अन्ना हज़ारे के समर्थन में आने वाले योग गुरु बाबा
रामदेव ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि विधेयक के लिए गठित समिति में शांति भूषण
के होने पर उन्हें व्यक्तिगत तौर पर आपत्ति नहीं है. उनका कहना था कि लोगों ने इस
पर सवाल उठाए थे और उन्होंने लोगों की बात आगे पहुंचाई है.

विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए नागरिक समाज की ओर से पांच सदस्य हैं जिनमें
पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण भी हैं.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अन्ना हज़ारे ने कहा है कि इस समय मकसद लोकपाल
विधेयक का मसौदा तैयार करना है और समिति में कौन है कौन नहीं इस पर बहस नहीं होनी
चाहिए. हज़ारे ने कहा कि वे इस बारे में बाबा रामदेव से बात करेंगे कि देश हित में
वे इस सवाल को न उठाएँ.

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने लोकपाल विधेयक को संसद के दोनों सदनों में
पारित कराने के लिए 15 अगस्त की समयसीमा रखी है.


saabhar

Murari Sharan Shukla posted in luckhnawi.
देखिये शांति भूषण की असलियत ! पढ़िए इस समाचार को ध्यान से आप सभी लोग ! स्वामी अग्निवेश की चालुगिरी के कारण अन्ना खा गए धोखा ! कौंग्रेस के इशारे पर अग्निवेश अन्ना के धरने में शामिल हुआ ! और अन्ना हजारे को प्रभावित करके अपनी मर्जी का फैसला भी करवा लिया ! इससे पता चलता है कि इस देश में देश का काम करने वाले देशभक्तों को कितनी सावधानी बरतने कि आवश्यकता है ? आप कभी भी भावनाओं के आधार पर हाइजैक हो सकते हैं ! लोग आपको आपके उद्येश्य से भटकने का पूरा हुनर जानते हैं ! इन देश द्रोहियों ने देश पर कब्ज़ा बनाये रखने का सारा हुनर सिख लिया है ! मेरे प्यारे देशवासियों अब आप लोग भी ऐसी सभी बातों को समझने का हुनर सीखो यथासिघ्र ! अभी हमें बहुत लम्बी लड़ाई लड़नी है ! और इस युद्ध यात्रा में ऐसे न जाने कितने भेड़ के खाल में भेड़िये मिलेंगे ! हमें सबको पहचानना होगा और इनके लाशों पर पग धर कर आगे बढ़ना होगा मेरे मित्रों ! अगर हम पहचानने में इसी तरह भूल करते रहे तो हमारा सारा मेहनत बेकार चला जायेगा ! और आन्दोलन के अंत में हम ठगे से रह जायेंगे ! भारत माता के बहादुर पुत्रों को केवल बहादुर होना ही पर्याप्त नहीं है हमें नीर-क्षीर विवेक भी सीखना पड़ेगा !
Murari Sharan Shukla15 अप्रैल 01:09
देखिये शांति भूषण की असलियत ! पढ़िए इस समाचार को ध्यान से आप सभी लोग ! स्वामी अग्निवेश की चालुगिरी के कारण अन्ना खा गए धोखा ! कौंग्रेस के इशारे पर अग्निवेश अन्ना के धरने में शामिल हुआ ! और अन्ना हजारे को प्रभावित करके अपनी मर्जी का फैसला भी करवा लिया ! इससे पता चलता है कि इस देश में देश का काम करने वाले देशभक्तों को कितनी सावधानी बरतने कि आवश्यकता है ? आप कभी भी भावनाओं के आधार पर हाइजैक हो सकते हैं ! लोग आपको आपके उद्येश्य से भटकने का पूरा हुनर जानते हैं ! इन देश द्रोहियों ने देश पर कब्ज़ा बनाये रखने का सारा हुनर सिख लिया है ! मेरे प्यारे देशवासियों अब आप लोग भी ऐसी सभी बातों को समझने का हुनर सीखो यथासिघ्र ! अभी हमें बहुत लम्बी लड़ाई लड़नी है ! और इस युद्ध यात्रा में ऐसे न जाने कितने भेड़ के खाल में भेड़िये मिलेंगे ! हमें सबको पहचानना होगा और इनके लाशों पर पग धर कर आगे बढ़ना होगा मेरे मित्रों ! अगर हम पहचानने में इसी तरह भूल करते रहे तो हमारा सारा मेहनत बेकार चला जायेगा ! और आन्दोलन के अंत में हम ठगे से रह जायेंगे ! भारत माता के बहादुर पुत्रों को केवल बहादुर होना ही पर्याप्त नहीं है हमें नीर-क्षीर विवेक भी सीखना पड़ेगा !