Tuesday, April 5, 2011

"नए वर्ष की नयी उमंगें

"नए वर्ष की नयी उमंगें नया नया संचार
खुशियों की बेलें फैलें हर मुंडेर हर द्वार,
मेरी है यह कामना हे जग पालनहार
सुख,समृद्धि से भरे,हर घर हर परिवार....!!"

आपको नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत २०६८ युगाब्द ५११३ एवं पृथ्वी माँ की 1,95,57,75,113वीं वर्षगांठ की कोटि कोटि शुभकामनायें...ईश्वर हमेशा हम सबका, हमारे भारत का मार्गदर्शन प्रगति पथ पर करता रहे व आपको इस नए वर्ष में सुख,समृद्धि,प्रगति,प्रतिष्ठा,तथा हर एक क्षेत्र में अद्वितीय सफलता से सराबोर करे....और भारत में प्रगति,शांति,सुरक्षा का वातावरण निर्माण हो....ऐसी हमारी उससे प्रार्थना है...वह हम सबको ऐसी इच्छा शक्ति प्रदान करे जिससे हम अखंड भारत माता को चिदमयी जगदम्बा का स्वरुप प्रदान कर उसके जन,जल,जमीन,जंगल,जानवर के साथ एकात्म भाव स्थापित कर सके जिससे भारत तथा समस्त विश्व का कल्याण हो...!!

पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ही पूजा क्यों करनी चाहिए?


Source: धर्मडेस्क. उज्जैन | Last Updated 12:14 PM [IST](04/04/2011)

हमारे यहां जब भी कोई बड़ा पूजन पाठ करवाया जाता है तो कहा जाता है कि पूर्व की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। लेकिन केवल विशेष पूजा-पाठ के समय ही नहीं बल्कि हमेशा पूजा करते समय पूर्व दिशा की ओर ही मुंह रखना चाहिए क्योंकि किसी भी घर के वास्तु में ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा का बड़ा महत्व है।

वास्तु के अनुसार ईशान कोण स्वर्ग दरवाजा कहलाता है। ऐसा माना जाता है कि ईशान कोण में बैठकर पूर्व दिशा की और मुंह करके पूजन करने से स्वर्ग में स्थान मिलता है क्योंकि उसी दिशा से सारी ऊर्जाएं घर में बरसती है। ईशान्य सात्विक ऊर्जाओं का प्रमुख स्त्रोत है। किसी भी भवन में ईशान्य कोण सबसे ठंडा क्षेत्र है। वास्तु पुरुष का सिर ईशान्य में होता है। जिस घर में ईशान्य कोण में दोष होगा उसके निवासियों को दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है।

साथ ही पूर्व दिशा को गुरु की दिशा माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार गुरु को धर्म व आध्यात्म का कारक माना जाता है। ईशान्य कोण का अधिपति शिव को माना गया है। मान्यता है कि इस दिशा की ओर मुंह करके पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का निवास होता है बाद में ये ऊर्जाएं पूरे घर में फैल जाती हैं। पूर्व दिशा में बैठकर सुबह सूर्य की किरणों का सेवन करने से कई रोगों से मुक्ति मिल जाती है।