Friday, January 6, 2012

जिहादी बेबकूफ सभी जगह मिलते हैं | फ़्रांस की एक अदालत ने नसीम मैमून नामक शख्स को 6 माह के लिए जेल भेज दिया है, क्योंकि नसीम ने एक अस्पताल की नर्स पर इसलिए हमला कर दिया था, क्योंकि उस नर्स ने "डिलीवरी" के दौरान उसकी खातून का बुरका हटा दिया था…। हैरान हो गये न आप? अभी और आगे तो पढ़िये…

जब वह नर्स उसकी गर्भवती पत्नी का चेक-अप कर रही थी, तभी नसीम मैमून ने उसे खातून का बुरका नहीं उठाने बाबत धमकाया था, नहीं मानने पर उसने उस महिला नर्स पर "बलात्कार"(?) का आरोप भी लगा डाला…। जब नसीम को धक्के मारकर ऑपरेशन थियेटर से बाहर कर दिय गया तो उसने छोटी काँच की खिड़की से देखा कि बुरका हटाया गया है, तब वह और उग्र हो उठा तथा उसने दरवाजे को जबरन खुलवाकर महिला नर्स के चेहरे पर प्रहार कर दिया…तब उसे गिरफ़्तार कर लिया गया…। फ़्रांसीसी न्यायाधीश ने अपने निर्णय में कहा कि, "धार्मिक मान्यताएं, देश के कानून से ऊपर नहीं हो सकतीं…"।

कृपया ध्यान दीजिये, कि चेहरे से बुरका नहीं हटाने के लिए "प्रतिबद्ध"(?) यह युवक पढ़े-लिखे-समृद्ध देश फ़्रांस का नागरिक है, सूडान या नाईजीरिया का नहीं…। क्या अब भी बताना पड़ेगा कि "ब्रेन-वॉश" किसे कहते हैं…?

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चुटकी वाली टीप :- जज के उस वाक्य के बाद समूचे यूरोप में फ़्रांसीसी न्यायाधीशों की माँग अचानक बढ़ गई है… :) :) बहरहाल… जिन सेकुलरों और वामपंथियों को अक्सर, मेरी बातें झूठ और बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई, प्रतीत होती हैं, उनके लिए लिंक भी पेश है… Good Afternoon... मित्रों… :)
"शंखनादों से सुबह सहमी है
आर्तनादों से शाम
अमन के नाम पर कफ़न किसने उढ़ाया ?
एक सहमी सी सुबह से मैंने पूछ था ये सच
शाम होते शहर शोकाकुल सा नज़र आया
सच की दुनिया अब अखबारों को अखरती है
झूठ का झंडा उठाये दूरदर्शन दौड़ आया

सुना है गिद्ध की नज़रें हमारे गाँव पर हैं
सुना है चहकती चिड़िया आज चिंतित है
सुना है गाय का बच्चा अपनी मां के दूध से वंचित है
सुना है यहाँ कलियाँ सूख जाती हैं नागफनीयाँ सिंचित हैं
सुना है फूल तोड़े जा रहे हैं मुर्दों पे चढाने को
सुना है कांटे तो खुश हैं पर राहें रक्तरंजित हैं
सुना है शब्द सहमे हैं साँसें थम गयी हैं

अमन के नाम पर कफ़न किसने उढ़ाया ?

एक सहमी सी सुबह से मैंने पूछ था ये सच


शाम होते शहर शोकाकुल सा नज़र आया

घर पे आया सबको हंसाया
छत पे जाके अपने आंसू पोंछ आया
आवाज़ देकर फलक से मुझे किसने बुलाया
भूकंप से काँपे घर की देहरी पर दिया किसने जलाया
शंखनादों से सुबह सहमी है

आर्तनादों से शाम


अमन के नाम पर कफ़न किसने उढ़ाया ?

एक सहमी सी सुबह से मैंने पूछ था ये सच


शाम होते शहर शोकाकुल सा नज़र आया

आवाज़ देकर फलक से मुझे किसने बुलाया

भूकंप से काँपे घर की देहरी पर दिया किसने जलाया. "
" समय की सूखी नदी मैं याद की नावें
लोकलाजों से सहमते सत्य से रिश्ते
हमारी आँख की सरहद पे सिमट आया है ये आंसू
शब्द सच के सारथी अब हैं नहीं
शब्द के काँधे पे हैं अर्थ की अब अर्थियां
देह के इन रास्तों से रिश्ते गुजरे हैं बहुत
नाप पाओ तो बताना भावना को भौतिकी से
समय की सूखी नदी और भावना भयभीत है
लोकलाजों से सहमते सत्य का संगीत सुनलो
हमारी आँख की सरहद पे सिमट आया है ये आंसू
भावना भूगोल की होती नहीं है
सोचना फिर सच बताना
रिश्ते जो आकार लेना चाहते थे
होठ पर सहमे खड़े खड़े गुमनाम क्यों थे." -

मिलिए दिग्विजय सिंह जी से हिदुत्व को गाली देने वाले १९९७ में विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यक्रम मैं उपस्थित थे| दिग्विजय की संघ से पुरानी करीबी?

Source: agency | Last Updated 22:53(05/01/12)

नई दिल्ली. संघ के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े अशोक सिंघल के साथ मंच पर बैठे हुए दिग्विजय सिंह की तस्वीर सामने आने के बाद टीम अन्ना ने हमला बोल दिया है। टीम अन्ना के सदस्य संजय सिंह ने गुरुवार को कहा कि दिग्विजय सिंह के आरएसएस से घनिष्ठ संबंध हैं। संजय सिंह का कहना है कि दिग्विजय का बीजेपी और संघ से गहरा नाता है। वे बीजेपी और संघ का नाम नितिन गडकरी से ज़्यादा लेते हैं। संजय ने कहा, 'दिग्विजय सिंह कांग्रेस के भीतर आरएसएस और भाजपा के सबसे बड़े समर्थक हैं।'

लेकिन दिग्विजय सिंह ने तस्वीर सामने आने के बाद अपने बचाव में कहा है कि उस कार्यक्रम में वे कांची के शंकराचार्य के बुलावे पर गए थे और इसके लिए उन्होंने पार्टी से इजाजत ली थी। दिग्विजय सिंह ने कहा, 'आरएसएस से जुड़े लोगों ने अन्ना पर किताब लिखी। क्या उन्होंने मेरे ऊपर किताब लिखी? अन्ना को आरएसएस का समर्थन स्वीकार कर लेना चाहिए। अन्ना को लोगों को यह भी बताना चाहिए कि जनलोकपाल की जरूरत नहीं है, वे सभी बीजेपी में शामिल हों और उनका शुद्धिकरण हो।'

मजबूत लोकपाल की मांग कर रहे अन्ना हजारे को आरएसएस का एजेंट साबित करने में जुटी रही कांग्रेस को अब संघ जवाब देने की तैयारी की है। संघ के मुखपत्र पांचजन्य के अगले में अंक में संघ अन्ना और उनके सहयोगियों पर सबसे ज़्यादा हमला करने वाले दिग्विजय सिंह की पोल खोलने की तैयारी है।

अन्ना हजारे और समाजसेवी नानाजी देशमुख के रिश्तों का दावा कर टीम अन्ना को बैकफुट पर धकेलने की कोशिश कर चुके दिग्विजय सिंह की संघ और वीएचपी नेताओं के साथ मंच पर तस्वीर खोज निकाली गई है। इसमें कांग्रेस महासचिव हरिद्वार में आयोजित 1997 के विराट हिंदू सम्मेलन के दौरान संघ के तत्कालीन प्रमुख प्रोफेसर राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया और विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल के बीच बैठे नजर आ रहे हैं।

यूपी चुनाव के बीच रज्जू भैया और अशोक सिंघल के साथ दिग्विजय सिंह की करीबी कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के प्रभारी पर भारी पड़ सकती है। पांचजन्य के इस अंक में सिर्फ तस्वीर ही नहीं बल्कि लेख के जरिए भी दिग्विजय सिंह को जवाब देने की योजना है। ‘अपने गिरेबां में झांके दिग्विजय सिंह’ शीर्षक से लेख में आरएसएस की भारत के प्रति निष्ठा और समर्पण साबित करने के लिए बताया गया है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1963 में आरएसएस के निवेदन के बाद संघ को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने की इजाजत दी थी।